-
गढ़वाल की औरतों का बदलता श्रिंगार
लेखिका: सानिया महर Read the translated version in English सुबह के 6:00 बज रहे थे सूरज की पहली किरण मेरी खिड़की से मेरे बिस्तर में आई। मेरी आंख खुलते ही मैंने अपनी मां को देखा। वह शीशे में देखते हुए सज – सवर रही थी। होठों पे मुस्कान, आंखों में काजल, नाक व कान में बाली, मांग में सिंदूर, माथे पर लाल बिंदी, हाथ में चूड़ी, पैरों पर पायल, घने बाल और हरे रंग की साड़ी। मैं यह देख कर खुश हो गई और एक सवाल मन में उठा – पहले के लोग कैसे सजते थे?’ यह सवाल मेरे दिमाग में चलता रहा। मैं फ्रेश हुई, नाश्ता किया और मां…
-
भूत-प्रेतों के दुनिया में माँ की हंसी की तलाश
लेखक: आराधना Read the translated version in English “अरे कितने दिनों से बिस्तर पर लेटी है! लेटे-लेटे क्या हालत हो गई है! चेहरे की रौनक मानो कोई चुरा ले गया हो! तुम लोग ज्यादा अस्पताल-वस्पताल के चक्कर में मत रहो। इन्हें किसी बाकी को दिखा लाओ।”, पड़ोस की भाभी ने हामी भरते हुए कहा। पिछले तीन चार महीनों से मेरी मां ने न ही कुछ बोला और न ही कुछ किया। खाना तो खा ही नहीं रही थी जैसे मानो भूख कहीं उड़ गयी हो। बस बिस्तर पर लेटे-लेटे हमको देखे जाती और रोती। हमने बहुत से अस्पतालों में उनका इलाज करवाया, बस एक ही आशा रहती किसी अस्पताल की…
-
चन्देरी: साड़ियों के पीछे का इतिहास
लेखक – मुज़फ़्फ़र अंसारी Read the translated story in English यूँ तो १४, १५, सेंच्युरी में कई प्रसिद्द यात्रियों का यह से गुज़ार हुआ जिसमें इबने बतूता का नाम प्रमुख है , परंतु जब भारत में मुग़लिया सल्तनत की नीव पड़ते ही पहले मुग़ल शासक ने चार प्रसिद्ध नगरों को अपना निशाना बनाया उसमें एक नाम चन्देरी का भी है . यह नगर भारत के उत्तर दक्षिण के व्यापारिक मार्ग पर स्थित था , यानी धन दौलत से भरपूर नगर खूब लूटा गया । चन्देरी को धन दौलत से भरपूर होने के बारे में अलाउद्दीन ख़िलजी ने जब बुंदेलखंड और मालवा पर अभियान चलाए तो उसने जलालुद्दीन ख़िलजी को पत्र…
-
पहाड़ों से भी बड़े सपने
लेखिका – सविता कंसवाल Read the translated story in English मेरा नाम सविता कंसवाल है। मैं उत्तरकाशी जिले के एक बहुत ही दूरस्त गांव लोंथरू की रहने वाली हूं । मेरे पिताजी का नाम श्री राधेश्याम कंसवाल है जो कि कृषक है । मेरी माताजी का नाम श्रीमति कमलेश्वरी देवी है जो कि ग्रहणी है। मेरी 3 बहने है और तीनो की शादी हो रखी है । मेरा जन्म एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ । मैने बचपन से ही बहुत ही छोटी छोटी चीजों के लिए संघर्ष किया। जब मैं 6 कक्षा में पहुंची तो मेरा विधालय मेरे घर से डेड किलोमीटर दूर था और पूरा जंगल का रास्ता…
-
मेसर कुण्ड की कहानी
लेखिका: पुष्पा सुमत्याल Read the translated story in English मेरा बचपन घोड़पट्टा गाँव में बीता जो बर्निया गाँव से लगा हुआ है और जहाँ मेसर देवता को पूजने वाले बर्पटिया समुदाय के लोग रहते हैं। घोड़पट्टा में बड़े सीढ़ीनुमा खेत और बड़े आँगन वाले घर हैं। दोस्तों के साथ मिलके खोखो और सातपत्ती खेलना मेरी इस गाँव से जुडी सबसे अच्छी यादें हैं। गाँव की उमरदार महिलाएं मुझे उनके कालीनों के लिए नए डिज़ाइन खोजने के लिये भेजा करती थीं। फिर शाम को हम सब गाँव के चबूतरे पर इकट्ठे होकर दिन की कहानियाँ सांझा करते थे। शादी के बाद मैं मेरे पति के साथ सरमोली आकर बस गयी।मेसर कुंड सरमोली…
-
The Legend of a British Runaway in a Remote Uttarakhand Valley
A zoology student from Mukhwa village sheds light on the fascinating life of “Pahari Wilson,” who both plundered her valley and created the livelihoods that flourish to this day.
-
हिमाचली उत्सव जिसमें हिरन हर घर के दरवाज़े पर नाचती है
लेखिका: कनिका मेहता Read this story in English हरन हमारे यहाँ के त्यौहारों में से एक ख़ास त्यौहार है जिसमें हम हरन निकालते हैं। यह हरन पूरे कुल्लू ज़िले में निकाली जाती है। इसे कुल्लू दशहरे के समय निकाला जाता है। यह त्यौहार विशेषकर बच्चोंको अच्छा लगता है इसलिए वे इसके आने के लिए उत्सुक होते हैं। क्योंकि हमारे यहाँ हरन दशहरे के समय निकाली जाती है, इस समय बच्चों को भी ७ दिन की छुट्टी होती है। इन छुट्टियों को बच्चे बड़े मज़े से गुज़ारते हैं। इसके आने का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि सभी बच्चे कुल्लू दशहरे में नहीं जाते हैं, वे दशहरे से ज़्यादा हरन में…
-
हिमाचली घर की झलक
लेखिका: दिव्या भियार Read this story in English आज मैं आपको अपने घर के बारे में बताना चाहती हूँ। मेरा घर लकड़ी का बना हुआ है जो चार मंज़िला है। घर के सबसे ऊपरी मंज़िल में रसोई होती है। दूसरी मंज़िल को बिह और कुछ लोग ज़िली बाहुड़ कहते हैं। तीसरी मंज़िल को फढ़ कहा जाता है तथा चौथी मंज़िल को खुड़ कहा जाता है जहाँ गाएँ रखी जाती हैं। रसोई – घर के सबसे ऊपरी मंज़िल पे रसोई होती है। मेरे घर में रसोई में एक तंदूर लगा है जहाँ हम खाना बनाते हैं। तंदूर जलने के लिए लकड़ी घर में रखी होती है। घर में गैस भी है…
-
चार पीढ़ीयो की प्रेम कथा
लेखिका: रेखा रौतेला Read this story in English हम आपस में अक्सर मज़ाक में कहा करते हैं कि हमारे यहां दो तरह की शादियां होती हैं। एक तो ‘सटका’ शादी – जहां दो प्रेमी चुप चाप सटक या भाग जाओ, और दूसरी ‘झटका’ शादी जहां मां बाप ने तय किया और आप चुपचाप शादी कर लो। मैंने अपने पसंद का अपना जीवन साथी चुना और मेरी मन पसंद की शादी हुई। आज भी मुझे और मेरे साथी को लगता है जैसे कल ही की बात हो – एहसास नहीं होता कि हमारी शादी को 24 साल हो गया हैं। हमारे समय में मोबाइल फोन नहीं थे, पत्र व ग्रीटिंग कार्ड…
-
एक नदी का उत्थान और पतन
लेखक: परस राम भारती Read this story in English तीर्थन नदी से मेरी कई निजी यादें जुड़ी हुई हैं। मेरा घर नदी से करीब 100 गज की दूरी पर ही है। बचपन से ही मैंने इस नदी में खेलना, कूदना, तैरना और मछली पकड़ना सीखा है। अपने जीवन काल में देश व प्रदेश की बहुत नदियां देखी लेकिन इस नदी का शीशे की तरह साफ पानी और यहाँ पर पाई जाने वाली ट्राउट मछली की वजह से यह अपनी विशेष पहचान रखती है। वर्ष 2015 के बाद से तो भरपूर पर्यटन सीज़न के दौरान सैलानीयों को तीर्थन नदी में फिशिंग, पिकनिक, नदी भ्रमण और रिवर क्रॉसिंग करवाना तो लगभग रोज…