• Tigers, Peacocks and Forests on Fire

    Have you ever witnessed a hunt in the high Himalayan meadows? A rare pageantry of peacocks in the forest? Here’s a heartfelt ode to Nature (and a plea) from a girl who knows what’s truly great about the Great Himalayan National Park!

  • स्पिति के लोग आज भी पत्थर खाते हैं

    लेखक: छेरिंग नोंरबु Read this story in English मेरा नाम छेरिंग नोंरबु है।  मैं ग्राम डैमुल, ज़िला – लाहौल स्पिति, हिमाचल प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक अमची (अमची का मतलब है “सभी जीवों की माँ”) हूँ। मेरा परिवार सैकड़ों वर्षों से वंशानुगत सोवा रिग्पा (उपचारात्मक प्राचीन विज्ञान) पद्धति से उपचार व प्रचार करते आ रहा है ओर इसे संरक्षित कर रहा है। इस पद्धति के पूरे कोर्स अगर आप किसी संस्थान में करते है तो ५ वर्ष लगते हैं। परन्तु मैं बचपन से ही अपने दादा जी एवं पिता जी से भोटी भाषा लिपि के पश्चात सोवा रिग्पा के ज्ञुत झी- चार बुनियादी चिकित्सा ग्रन्थ (Secret Oral Tradition Of The Eight Branches Of The…

  • माटी के रंग – हिमालयी जड़ी बूटियों व पेड़ों से ऊन की रंगाई

    लेखिकाः बीना नित्वाल Read this story in English मेरा जन्म भोटिया परिवार में बागेश्वर जिले में हुआ। भोटिया समुदाय ऊनी कारोबार, भेड़ पालन के लिये प्रसिद्ध थे और कहा जाता था कि पूरे कुमांउ के ऊनी वस्त्र यहीं से जाते थे। मैंने बचपन में ज़्यादा खेती करना सीखा था क्योंकि हमारे पास काफी खेत थे। मैंने अपनी माँ से ऊन की प्राकृतिक रंगाई के बारे में सुना तो था पर शादी के बाद मैं जब मुनस्यारी में सरमोली आई, तभी जाकर खुद रंगाई व बुनाई का काम करने लगी। जब हम लोग रंगों के लिये पेड़ के पत्ती, फल के बखल,  जड़ी बूटी के जड़ को देखते हैं तो इनको…