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हिमालय के सिद्ध पुरुष
लेखक: छेरिंग नोंरबु Read this story in English मेंरा नाम छेरिंग नोंरबु है। मैं ग्राम डैमुल, ज़िला लाहौल स्पिति, हि० प्र० के निवासी हुँ। मुझे बचपन से ही गाँव के बुज़ुर्गो के साथ बैठकर पुराने कहावतें, कहानियाँ व सांस्कृतिक के विषय पर सुनने व जानने का शौक़ था। जब भी मुझे पाठशाला से छुट्टियाँ मिलता था मैं बुज़ुर्गों से मिलता था और उनसे अलग अलग कहानियाँ के बारे में जानकरियाँ हासिल करते थे फिर हर शाम को दिन के आपबीती बातें अपनी डायरी में लिख देता था ताकि भविष्य में भावी पीढ़ी के साथ जानकारी साँझा कर सकूँ । मैंने गियु मम्मी के बारे में कई लोगों से सुना परन्तु जाने का मौक़ा नहीं मिला। कुछ…
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एक पेड़ से आर्सी तक का सफर
मैं इस फोटो निबन्ध के ज़रिये आप को अखरोट के पेड़ से लकड़ी के तख्ते चीरकर, उनपर नक्काशी कर, कैसे हमने आर्सी तैयार किये- इस कहानी को चित्रों में बता रहा हूँ।
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बालक घुघूती का जीवन कौओं ने कैसे बचाया
आज उसी की याद में माघ के पहले दिन सारे कुमांऊ में कौव्वो को बुलाते है - “काले कव्वा- काले कव्वा, घुघूती माला खाले" करके बच्चें कौव्वों को बुलाते है।